क्या है पर्ल हार्बर
पर्ल हार्बर अमेरिका का एक मशहूर बंदरगाह और नौसैनिक अड्डा है जो हवाई द्वीप के ओहू में स्थित है। ये प्रशांत महासागर में अमेरिकी नौसेना के बेड़े का मुख्य आधार है। पर्ल हार्बर की स्थापना 1908 में हुई थी। इसे सबसे सुरक्षित नैसैनिक अड्डा माना जाता है।
क्यों हुआ था पर्ल हार्बर पर हमला
उन दिनों हमले की वजह जापान और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव था। अमेरिका इस हमले के लिए तैयार नहीं था। क्योंकि 6 दिसंबर काे वाशिंगटन में जापान के प्रतिनिधियों की अमेरिका के विदेश मंत्री कार्डेल हल के साथ मीटिंग हो रही थी। जहां जापान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को खत्म करने की बातचीत हो रही थी। दरअसल चीन के हस्तक्षेप के कारण अमेरिका ने जापान पर यह प्रतिबंध लगाए थे। जिससे जापान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हो रही थी। जब जापान को समाधान नहीं मिला तो मजबूरन हमले का रास्ता अपनाना पड़ा।
353 जापानी विमान कर रहे थे बमबारी
दूसरे ही दिन 7 दिसंबर, 1941 की सुबह जापानी नौसेना ने पर्ल हार्बर पर बमबारी शुरू कर दी। पर्ल हार्बर पर लगभग 353 जापानी विमान लगातार बमबारी कर रहे थे। हमले में 2400 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी। 328 विमान पूरी तरह से नष्ट हुए थे। इसके साथ ही 19 समुद्री जहाज भी जलकर राख हो गए थे। इसमें आठ जंगी जहाज भी शामिल थे। हमले में सिर्फ अमेरिका को ही नुकसान नहीं हुआ था, जापान के भी 100 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे।
दूसरे ही दिन जापान पर हमले की घोषणा
जापान के इस हमले से दूसरे विश्व युद्ध ने एक नया मोड़ ले लिया था। इस युद्ध में 70 अलग-अलग देशों की सेनाएं शामिल थीं। हमले के दूसरे ही दिन यानी 8 दिसंबर को तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने ‘एक ऐसा दिन जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता’ कहते हुए जापान पर युद्ध की घोषणा कर दी। इसके बाद अमेरिका सेकंड वर्ल्ड वॉर में में शामिल हो गया था। पर्ल हार्बर पर अटैक के बाद अमेरिका ने एक साल के अंदर ही इस बंदरगाह का पुर्ननिमाण कर दिया था।
ऐसे हुआ था हमले का अंत
अमेरीका ने हमले के चार साल बाद 1945 में जापान से गिन-गिनकर बदला लिया। अमेरिकी सैनिकों ने जापान के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमला किया। जिसमें जापान को काफी नुकसान हुआ था। अमेरिका ने तो साल भर में पर्ल हार्बर को बसा लिया था, लेकिन जापान को हिरोशिमा और नागासाकी को दोबारा बसाने से कई साल लग गए थे।