क्या BJP ने जाति जनगणना का मुद्दा हाईजैक कर लिया? राहुल गांधी की OBC राजनीति पर सीधा वार

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🗳️ क्या बीजेपी ने जाति जनगणना का मुद्दा हाईजैक कर राहुल गांधी की OBC राजनीति को कमजोर कर दिया?

जातिगत जनगणना पिछले कुछ वर्षों में कांग्रेस, खासकर राहुल गांधी, की राजनीति का प्रमुख हथियार रही है। यह मुद्दा OBC आरक्षण, सामाजिक न्याय, और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के इर्द-गिर्द घूमता है। लेकिन अब जब केंद्र सरकार ने देशव्यापी जातिगत सर्वेक्षण का ऐलान कर दिया है, तो राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी ने कांग्रेस के इस नैरेटिव को छीनने की रणनीति अपना ली है।

आइए जानते हैं इस घटनाक्रम के 6 बड़े राजनीतिक प्रभाव, जो आने वाले चुनावों में बड़ा फर्क डाल सकते हैं:


1. राहुल गांधी के एजेंडे को निष्क्रिय करने की रणनीति

2024 के चुनावों में राहुल गांधी ने जाति जनगणना को लेकर आक्रामक रुख अपनाया था। लेकिन अब जब केंद्र सरकार खुद इस दिशा में कदम बढ़ा चुकी है, तो बीजेपी राहुल गांधी को उनके मुख्य एजेंडे से बाहर कर रही है। इसका मकसद है उन्हें मुद्दाविहीन बनाना और कांग्रेस की पकड़ कमजोर करना।


2. ओबीसी वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश

बीजेपी की ये पहल OBC समुदाय में अपनी पैठ बढ़ाने की स्पष्ट रणनीति मानी जा रही है। राहुल गांधी ने खुद स्वीकारा था कि कांग्रेस का ध्यान जब ऊंची जातियों और अन्य वर्गों पर गया, तो OBC उनसे दूर हो गए। अब बीजेपी इस शून्य को भरने की कोशिश कर रही है।


3. बिहार की जाति आधारित राजनीति पर सीधा असर

बिहार में जाति आधारित राजनीति का बड़ा महत्व है। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जैसे नेता जातीय समीकरणों के बल पर सत्ता में बने रहे हैं। अब अगर बीजेपी जाति जनगणना का श्रेय लेती है, तो वह खुद को सामाजिक न्याय के समर्थक के रूप में स्थापित कर सकती है


4. क्रेडिट की लड़ाई में कांग्रेस कमजोर

हालांकि कांग्रेस यह दावा करेगी कि जाति जनगणना की पहल उसका विचार था, लेकिन सत्ता में रहते हुए यह काम न करने का आरोप उस पर बनेगा। अब सरकार द्वारा आधिकारिक घोषणा किए जाने से कांग्रेस का नैरेटिव कमजोर पड़ सकता है।


5. कांग्रेस का दबाव जारी रहेगा: रणनीति बदलने की तैयारी

राहुल गांधी और कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि अब उन्हें जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने और नीतियों में उसका उपयोग सुनिश्चित करने की मांग पर फोकस करना चाहिए। यानी “दीपक जलता रहना चाहिए” वाली रणनीति अपनाई जाएगी ताकि मुद्दा उनके पास बना रहे।


6. कांग्रेस शासित राज्यों में समीकरण बदलेंगे

कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में कांग्रेस ने खुद को OBC समर्थक पार्टी के तौर पर पेश किया है। अब जब बीजेपी इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठा रही है, तो इन राज्यों में कांग्रेस को अपनी रणनीति नए सिरे से तय करनी पड़ेगी


🔍 निष्कर्ष: सामाजिक न्याय की राजनीति में नई होड़

जाति जनगणना अब केवल डेटा संग्रहण नहीं, बल्कि राजनीतिक नैरेटिव और चुनावी रणनीति का हथियार बन चुकी है। बीजेपी इस विषय को लेकर आक्रामक मुद्रा में है, जबकि कांग्रेस अपने पुराने एजेंडे को बचाने के लिए नए मोर्चे खोल रही है। आने वाले चुनावों में यह मुद्दा कई राज्यों के समीकरण बदल सकता है


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