इज़राइल में ब्रिटिश सांसदों को प्रवेश से रोका गया: एक राजनयिक विवाद
इज़राइल और ब्रिटेन के बीच हाल ही में एक राजनयिक विवाद उभर कर सामने आया है, जिसमें दो ब्रिटिश लेबर पार्टी की सांसदों, युआन यांग और अब्तिसम मोहम्मद, को इज़राइल में प्रवेश से वंचित कर दिया गया और बेन-गुरियन हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया। यह घटना ब्रिटेन की सरकार और संसद में गहरी चिंता का विषय बन गई है।
घटना का विवरण
युआन यांग, जो अर्ली और वुडली की सांसद हैं, और अब्तिसम मोहम्मद, शेफ़ील्ड सेंट्रल की सांसद, अपने सहायकों के साथ लुटन से उड़ान भरकर बेन-गुरियन हवाई अड्डे पहुँची थीं। उनका दावा था कि वे एक आधिकारिक संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में इज़राइल की यात्रा पर थीं। हालांकि, इज़राइली आव्रजन अधिकारियों ने उनके इस दावे को “झूठा” बताते हुए उन्हें देश में प्रवेश नहीं दिया और तुरंत वापस भेज दिया।
इज़राइली अधिकारियों का पक्ष
इज़राइली आव्रजन मंत्रालय के अनुसार, इन सांसदों पर संदेह था कि वे सुरक्षा बलों की गतिविधियों का दस्तावेजीकरण करने और इज़राइल विरोधी भावना फैलाने की योजना बना रही थीं। इज़राइल के यूके दूतावास ने भी आरोप लगाया कि ये दोनों सांसद इज़राइल के खिलाफ बहिष्कार और प्रतिबंधों का समर्थन करती हैं और इज़राइली मंत्रियों के खिलाफ प्रतिबंधों को सक्रिय रूप से बढ़ावा देती हैं। The Sun
ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया
ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे “अस्वीकार्य, प्रतिकूल और गहरी चिंता का विषय” बताया और कहा कि यह ब्रिटिश संसद सदस्यों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार नहीं है। लैमी ने इज़राइली सरकार के समकक्षों के साथ इस मुद्दे को उठाया और दोनों सांसदों को समर्थन प्रदान किया।
सांसदों का पूर्ववृत्त
युआन यांग और अब्तिसम मोहम्मद दोनों 2024 में निर्वाचित हुई थीं। यांग, अर्ली और वुडली की पहली सांसद हैं और ब्रिटिश संसद में चुनी जाने वाली पहली चीनी मूल की ब्रिटिश नागरिक हैं। मोहम्मद, शेफ़ील्ड सेंट्रल की सांसद, संसद में चुनी जाने वाली पहली अरब महिला हैं। दोनों सांसदों ने पहले भी ब्रिटिश सरकार की इज़राइल के प्रति नीतियों की आलोचना की है, विशेष रूप से गाज़ा में मानवीय सहायता को लेकर।
राजनयिक प्रभाव
यह घटना ब्रिटेन और इज़राइल के बीच राजनयिक संबंधों में तनाव का संकेत देती है। ब्रिटिश सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है और इसे अपने सांसदों के प्रति असम्मानजनक मान रही है। वहीं, इज़राइल का कहना है कि वह अपने देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए ऐसे कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है।
निष्कर्ष
यह प्रकरण दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में संचार और पारस्परिक सम्मान कितना महत्वपूर्ण है। दोनों देशों को चाहिए कि वे इस मुद्दे को संवाद के माध्यम से सुलझाएं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और द्विपक्षीय संबंध मजबूत बने रहें।