बार-बार बोलने पर भी बच्चा नहीं सुनता बात? जानें 5 प्रमुख गलतियां और सुधारें अपनी पेरेंटिंग शैली

बार-बार बोलने पर भी बच्चा नहीं सुनता बात?

बच्चे की सुनने की क्षमता में सुधार: 5 प्रमुख पेरेंटिंग गलतियां और समाधान

अक्सर माता-पिता शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे उनकी बात नहीं सुनते हैं। लेकिन क्या आपने कभी अपनी पेरेंटिंग शैली पर ध्यान दिया है? हो सकता है कि कुछ गलतियां आपके बच्चे के व्यवहार को प्रभावित कर रही हों। आइए जानते हैं उन पांच प्रमुख गलतियों के बारे में जिनकी वजह से बच्चे आपकी बात नहीं सुनते और साथ ही उन्हें सुधारने के तरीके भी जानें।

1. अत्यधिक चिल्लाना
कई बार माता-पिता बच्चों से इतनी तेज आवाज में बात करते हैं कि बच्चे भ्रमित हो जाते हैं और नहीं समझ पाते कि उन्हें क्या करना है। इससे बच्चे अंदर से कठोर हो जाते हैं और हमेशा डांट खाने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहते हैं। इसलिए शांत और संयमित तरीके से बात करें।

Angry father scolding his son and daughter at home.

2. निरंतर ताने मारना
बच्चों की एक गलती होने पर कई माता-पिता उन्हें कई दिनों तक ताने मारते रहते हैं। इससे बच्चे यह मान लेते हैं कि चाहे वे अच्छा करें या बुरा, उन्हें हर हाल में ताने सुनने को मिलेंगे। इससे बचने के लिए बच्चों को उनकी गलतियों के लिए समझाएं और आगे सुधार का मौका दें।

Angry parents scolding their children

3. बार-बार रोक-टोक करना
यदि बच्चा कोई काम कर रहा है तो उसे बार-बार डिस्टर्ब ना करें और कमियां न निकालें। इससे बच्चों को लगेगा कि उनके प्रयासों की कोई कीमत नहीं है और वे काम करना ही छोड़ देंगे। बच्चों के प्रयासों की सराहना करें और उन्हें प्रोत्साहित करें।

4. शारीरिक दंड का प्रयोग
कई माता-पिता बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए हाथ उठा देते हैं और बिना कारण पूछे ही थप्पड़ मार देते हैं। इससे बच्चों के मन में माता-पिता के प्रति प्यार और सम्मान कम हो जाता है और वे उनकी बात मानना छोड़ देते हैं। बच्चों की समस्याओं को समझें और उनकी इज्जत करें।

Angry parents scolding their son at home

5. लगातार कमियां निकालना
यदि माता-पिता बच्चे को कोई काम दें और उनके बताए तरीके से काम करने पर भी ताना मारें या कमी निकालें, तो बच्चे काम करना छोड़ देते हैं। उनके मन में यह आता है कि हर हाल में उन्हें डांटा जाएगा। सकारात्मक फीडबैक दें और उनके प्रयासों की सराहना करें।

इन सुझावों को अपनाकर माता-पिता बच्चों के साथ बेहतर संवाद स्थापित कर सकते हैं और उनकी सुनने की क्षमता में सुधार कर सकते हैं। इससे न केवल बच्चे खुश रहेंगे, बल्कि माता-पिता भी संतुष्ट महसूस करेंगे।

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