भारत ने आर्थिक विकास की यात्रा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह अप्रैल 2000 से अब तक एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है। मौजूदा समय में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकार करीब चार ट्रिलियन डॉलर है।
इससे माना जा सकता है कि पिछले करीब दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने में एफडीआइ ने उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है। एक ट्रिलियन डॉलर एफडीआई सिर्फ एक आर्थिक उपलब्धि नहीं है, यह वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में भारत के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है। आइये जानते हैं शीर्ष निवेशकों और उन कारकों के बारे में जो भारत को निवेश के लिहाज से सबसे आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।
26 प्रतिशत बढ़ा है एफडीआई
चालू वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में42.1 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया है अप्रैल-सितंबर 2024 के दौरान 60 सेक्टर, 31 राज्य और केंद्र शासित क्षेत्रों में रहा है एफडीआई का प्रवाह
मॉरीशस और सिंगापुर हैं बड़े निवेशक
भारत में एफडीआई का सबसे बड़ा स्त्रोत मॉरीशस रहा है। मॉरीशस ने कुल विदेशी निवेश में 25 प्रतिशत का योगदान दिया है। सिंगापुर 24 प्रतिशत एफडीआई के साथ दूसरे स्थान पर है। अमेरिका 10 प्रतिशत निवेश के साथ तीसरे स्थान है। इसके अलावा बड़े निवेशक देशों में नीदरलैंड्स , जापान और ब्रिटेन शामिल हैं।
इन सुधारों से आकर्षित हुईं विदेशी कंपनियां
- मेक इन इंडिया पहल
- सेक्टर में उदार नीतियां
- जीएसटी लागू होने से बढ़ा निवेशकों का भरोसा
- प्रतिस्पर्धी श्रमिक लागत और रणनीतिक प्रोत्साहन
- आर्थिक सुधारों को लगातार आगे बढ़ाया गया
- ज्यादातर सेक्टर में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति
- स्टार्टअप फंडिंग के लिए एंजेल टैक्स खत्म होना
- विदेशी कंपनियों के लिए कारपोरेट टैक्स में कमी
निवेश आकर्षित करने वाले प्रमुख सेक्टर
फाइनेंशियल सर्विसेज, आइटी और कंसल्टेंसी जैसे सब सेक्टर्स सहित सर्विस सेक्टर प्रमुख सेक्टर हैं। सबसे ज्यादा विदेशी निवेश कंप्यूटर साफ्टवेयर और हार्डवेयर, टेलीकम्युनिकेशंस, ट्रेडिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में हुआ है।