खाली पेट रहने का असर
वेट लॉस के लिए कैलोरी की मात्रा डाइट से कम करना एक ट्रेंड-सा बन चुका है, लेकिन भूख लगने पर गट हार्मोन घ्रेलिन की मात्रा ब्लड में बढ़ जाती है, जो ब्रेन को प्रभावित करती है। कुछ भी खाने पर इसकी मात्रा सामान्य हो जाती है। खाली पेट रहने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, जिससे सुस्ती और थकान महसूस होती है। खाली पेट से स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे शरीर स्ट्रेस में आ जाता है और सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है
भूख और दिमाग का कनेक्शन
एक शोध के अनुसार ब्रेन का वो हिस्सा जो निर्णय लेने और क्षमता बढ़ाने में मदद करता है, वो हमारे गट में मौजूद हंगर हार्मोन पर निर्भर करता है। हंगर हार्मोन घ्रेलिन ब्लड ब्रेन बैरियर को क्रॉस कर जाता है और ब्रेन की गतिविधि को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। शरीर में बनने वाला लगभग 50% डोपामिन और 95% सेरोटोनिन गट में ही बनते हैं। डोपामिन एक ऐसा न्यूरोट्रांसमीटर है, जो किसी प्रकार की संतुष्टि मिलने पर जैसे खाने या सोने से मिलने वाली खुशी से खुश और संतुष्ट रहने का एहसास दिलाता है।
इसलिए खाली पेट सोचना बंद कर देता दिमाग
वहीं, सेरोटोनिन मूड को प्रभावित करता है और नींद, मेमोरी और याददाश्त मजबूत करता है। लेकिन खाली पेट ये दोनों ही न्यूरोट्रांसमिटर नहीं बन पाते हैं, बल्कि इनकी जगह कोर्टिसोल बनने से पूरे शरीर में स्ट्रेस होता है, जिससे मूड खराब होता है। ब्रेन से सीधा पेट और कोलन तक आने वाली वेगस नर्व गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के सिग्नल ब्रेन तक पहुंचाती है। पेट खाली होने पर ये इमोशनल स्ट्रेस के रिस्पॉन्स भेजती है, जिससे दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता है। यही कारण है कि घबराहट या नर्वस होने पर पेट में दर्द जैसा महसूस होने लगता है। इतने सारे कनेक्शन से ये बात साफ होती है कि गट का सीधा संबंध ब्रेन से होता है। इसलिए जब पेट खाली होता है, तो ब्रेन सोचना कम कर देता है।